लाइट गोल होने पर बैंक में नहीं होता कोई काम, कई महीनो से जनरेटर है खराब, भीषण गर्मी में लाइन लगाने को मजबूर ग्रामीण .....

Madan Tiwari

 लाइट गोल होने पर बैंक में नहीं होता कोई काम, कई महीनो से जनरेटर है खराब, भीषण गर्मी में लाइन लगाने को मजबूर ग्रामीण .....

 एम.सी.बी जिला के जनकपुर में स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में लाइट गोल होने पर नहीं होता बैंक का कोई काम। यह बैंक जनकपुर मुख्यालय में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र से कई किलोमीटर का सफर करके ग्रामीण बैंक में पैसे निकालने के लिए आते हैं। मगर यदि लाइट गोल है तो इस बैंक में कोई काम नहीं होता है। बैंक में इनवर्टर कनेक्शन है मगर वह भी कुछ समय में ही बंद हो जाता है। इस कोऑपरेटिव बैंक में जनरेटर की सुविधा है मगर वह भी कई महीनो से बंद पड़ा हुआ है। और लाइट गोल होने की स्थिति में ग्रामीण धूप में खड़े होकर घंटों लाइट आने का इंतजार करते हैं की कब लाइट आए और बैंक का काम हो। वहीं ग्रामीणों की मांग है कि बैंक कैसे जनरेटर को जल्द से जल्द सुधरवाया जाए जिससे लाइट गोल होने पर भी बैंक का कार्य बाधित न हो और ग्रामीण बैंक से पैसे का लेन-देन सही समय में कर सकें।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में आए हुए ग्रामीण रामदीन का कहना है कि मैं जनकपुर से 25 किलोमीटर दूर कंजिया से सुबह 11:00 बजे पैसे लेने के लिए आया हूं। तब से लाइट गोल है। बैंक के कर्मचारियों का कहना है कि जब लाइट आएगी तभी पैसे मिलेंगे।

25 किलोमीटर दूर से रामगढ़ से सरिता, 30 किलोमीटर दूर मलकढो़ल से बृजलाल सिंह का भी कहना है कि सुबह से अपना काम धाम छोड़कर जनकपुर पैसा निकालने के लिए आए थे और अब शाम के 3:00 बज रहे है मगर बैंक से पैसे नहीं मिले। बैंक कर्मचारियों का कहना है लाइट आएगी तभी पैसे मिलेंगे। जनकपुर निवासी मुन्नू सिंह चंदेल ने बताया कि जनकपुर में घंटो लाइट गोल रहती है। जिस कारण बैंक का कोई भी काम नहीं हो पता है जबकि बैंक में जनरेटर की सुविधा है मगर वह भी कई महीनो से खराब पड़ा हुआ है। बैंक के जनरेटर को जल्द से जल्द बनवाया जाए जिससे कि ग्रामीणों को असुविधा का सामना न करना पड़े।

 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित के शाखा प्रबंधक संतोष मिन्ज का कहना है कि अगस्त 2024 से मैं इस बैंक में आया हूं तभी से बैंक का जनरेटर खराब है। मैकेनिक को दिखाकर जनरेटर का सुधार कार्य करवाया जाएगा।
कॉपी पेस्ट वाले पत्रकारों की खबरों से रहें सावधान